Monday, November 6, 2017

पाठ – 16 वन के मार्ग में

पाठ – 16 वन के मार्ग में

   –  तुलसीदास


कविता से

1. प्रथम सवैया में कवि ने राम-सीता के किस प्रसंग का वर्णन किया है?
उत्तर: 
प्रथम सवैया में कवि ने राम-सीता के वन-गमन प्रसंग का वर्णन किया है। 

2. वन के मार्ग में सीता को होने वाली कठिनाइयों के बारे में लिखो। 
उत्तर: 
वन के मार्ग में जाते हुए सीता थक गईं। उनके माथे से पसीना बहने लगा और होंठ सूख गए। वन के मार्ग में चलते-चलते उनके पैरों में काँटें चुभने लगे। 

3. सीता की आतुरता देखकर राम की क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर: 
सीता की आतुरता को देखकर श्रीराम व्याकुल हो उठते हैं। सीता को थका और प्यासा देख उनकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं। वह इस बात से परेशान हो उठते हैं कि सीता को इतना कष्ट उनके वजह से झेलना पड़ रहा है।

4. राम बैठकर देर तक काँटे क्यों निकालते रहे?
उत्तर: 
राम से सीता की व्याकुलता देखी नहीं जा रही थी। लक्ष्मण पानी की तलाश में गए हुए थे इसलिए जब तक लक्ष्मण लौट कर आते हैं तब तक वे सीता की व्याकुलता और कष्ट को कम करना चाहते थे इसलिए राम बैठकर देर तक काँटे निकालते रहे क्योंकि अभी उन्हें और चलना था।

5. सवैया के आधार पर बताओ कि दो कदम चलने के बाद सीता का ऐसा हाल क्यों हुआ?
उत्तर: 
 सीता राजा जनक की पुत्री थीं। उनका जीवन राजमहलों में बिता था। इस पकार की कठिनाइयों को उन्होंने ने कही नहीं देखा था। इसलिए अभ्यस्त न होने के कारण उनका ऐसा हाल हुआ।

6. ‘धरि धीर दए’ का आशय क्या है?
उत्तर: 
इस पंक्ति का आशय है धैर्य धारण करना। सीता वन मार्ग पर चलते हुए, राम का साथ देते हुए, तकलीफों को सहते हुए मन-ही-मन स्वयं को धीरज बँधा रहीं थीं।

अनुमान और कल्पना

• अपनी कल्पना से वन के मार्ग का वर्णन करो।
उत्तर: 
वन का मार्ग कठिनाइयों से भरा होता है। रास्ते में चारों तरफ लम्बे-लम्बे वृक्ष खड़े होते हैं और बीचों-बीच कँटीली झाड़ियाँ होती हैं। रास्ता उबड़-खाबड़, पत्थरीला और दलदली भी होता है। पेड़ों से घिरे होने के कारण सूरज की रोशनी भी काम पहुँचती है जिससे अँधेरा भी होता है साथ ही रास्ता जंगली जानवरों से भरा होता है।

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