Wednesday, November 15, 2017
कक्षा: 8 (NCERT SOLUTIONS)
कक्षा: 8
CHAPTER 1: ध्वनि
Dhwani
CHAPTER 2: लाख की चूड़ियां
Lakh ki chudiyaan
CHAPTER 3: बस की यात्रा
Bus ki yatra
CHAPTER 4: दीवानों की हस्ती
Diwanon ki hasti
CHAPTER 5: चिट्ठियों की दुनिया
Chittiyon ki anuthi duniya
CHAPTER 6: भगवन के डाकिए
Bhagwan ke dakie
CHAPTER 7: क्या निराश हुआ जाए
Kya niraash hua jaye
CHAPTER 8: यह सबसे कठिन समय नहीं
Yeh sabse kathin samay nahi
CHAPTER 9: कबीर की साखियाँ
Kabir ki sakhiyan
(* पाठ 10 और पाठ 11 को पहले ही अपलोड कर दिया गया है।*)
CHAPTER 12: सुदामा चरित
Sudama charit
CHAPTER 13: जहाँ पहिया है
Jahan pahiya hai
CHAPTER 14: अकबरी लोटा
Akbari lota
CHAPTER 15: सूरदास के पद
Surdas ke pad
CHAPTER 16: पानी की कहानी
Pani ki kahaani
CHAPTER 17: बाज और साँप
Baaj aur saap
CHAPTER 18: टोपी
Topi
CHAPTER 1: ध्वनि
Dhwani
CHAPTER 2: लाख की चूड़ियां
Lakh ki chudiyaan
CHAPTER 3: बस की यात्रा
Bus ki yatra
CHAPTER 4: दीवानों की हस्ती
Diwanon ki hasti
CHAPTER 5: चिट्ठियों की दुनिया
Chittiyon ki anuthi duniya
CHAPTER 6: भगवन के डाकिए
Bhagwan ke dakie
CHAPTER 7: क्या निराश हुआ जाए
Kya niraash hua jaye
CHAPTER 8: यह सबसे कठिन समय नहीं
Yeh sabse kathin samay nahi
CHAPTER 9: कबीर की साखियाँ
Kabir ki sakhiyan
(* पाठ 10 और पाठ 11 को पहले ही अपलोड कर दिया गया है।*)
CHAPTER 12: सुदामा चरित
Sudama charit
CHAPTER 13: जहाँ पहिया है
Jahan pahiya hai
CHAPTER 14: अकबरी लोटा
Akbari lota
CHAPTER 15: सूरदास के पद
Surdas ke pad
CHAPTER 16: पानी की कहानी
Pani ki kahaani
CHAPTER 17: बाज और साँप
Baaj aur saap
CHAPTER 18: टोपी
Topi
Monday, November 13, 2017
Monday, November 6, 2017
पाठ – 16 वन के मार्ग में
पाठ – 16 वन के मार्ग में
– तुलसीदास
कविता से
1. प्रथम सवैया में कवि ने राम-सीता के किस प्रसंग का वर्णन किया है?
उत्तर:
प्रथम सवैया में कवि ने राम-सीता के वन-गमन प्रसंग का वर्णन किया है।
2. वन के मार्ग में सीता को होने वाली कठिनाइयों के बारे में लिखो।
उत्तर:
वन के मार्ग में जाते हुए सीता थक गईं। उनके माथे से पसीना बहने लगा और होंठ सूख गए। वन के मार्ग में चलते-चलते उनके पैरों में काँटें चुभने लगे।
3. सीता की आतुरता देखकर राम की क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर:
सीता की आतुरता को देखकर श्रीराम व्याकुल हो उठते हैं। सीता को थका और प्यासा देख उनकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं। वह इस बात से परेशान हो उठते हैं कि सीता को इतना कष्ट उनके वजह से झेलना पड़ रहा है।
4. राम बैठकर देर तक काँटे क्यों निकालते रहे?
उत्तर:
राम से सीता की व्याकुलता देखी नहीं जा रही थी। लक्ष्मण पानी की तलाश में गए हुए थे इसलिए जब तक लक्ष्मण लौट कर आते हैं तब तक वे सीता की व्याकुलता और कष्ट को कम करना चाहते थे इसलिए राम बैठकर देर तक काँटे निकालते रहे क्योंकि अभी उन्हें और चलना था।
5. सवैया के आधार पर बताओ कि दो कदम चलने के बाद सीता का ऐसा हाल क्यों हुआ?
उत्तर:
सीता राजा जनक की पुत्री थीं। उनका जीवन राजमहलों में बिता था। इस पकार की कठिनाइयों को उन्होंने ने कही नहीं देखा था। इसलिए अभ्यस्त न होने के कारण उनका ऐसा हाल हुआ।
6. ‘धरि धीर दए’ का आशय क्या है?
उत्तर:
इस पंक्ति का आशय है धैर्य धारण करना। सीता वन मार्ग पर चलते हुए, राम का साथ देते हुए, तकलीफों को सहते हुए मन-ही-मन स्वयं को धीरज बँधा रहीं थीं।
अनुमान और कल्पना
• अपनी कल्पना से वन के मार्ग का वर्णन करो।
उत्तर:
वन का मार्ग कठिनाइयों से भरा होता है। रास्ते में चारों तरफ लम्बे-लम्बे वृक्ष खड़े होते हैं और बीचों-बीच कँटीली झाड़ियाँ होती हैं। रास्ता उबड़-खाबड़, पत्थरीला और दलदली भी होता है। पेड़ों से घिरे होने के कारण सूरज की रोशनी भी काम पहुँचती है जिससे अँधेरा भी होता है साथ ही रास्ता जंगली जानवरों से भरा होता है।
पाठ – 15 नौकर
पाठ – 15 नौकर
– अनु बंधोपाध्याय
निबंध से
1. आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गाँधी जी ने कौन-सा काम करवाया और क्यों?
उत्तर:
आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गाँधी जी ने गेंहूँ बीनने का काम करवाया। उन्हें अपने अंग्रेजी ज्ञान पर बड़ा गर्व था। बातचीत के अंत में उन्होंने गांधीजी से कोई कार्य माँगा चूँकि उन्हें लगा की वे उन्हें पढ़ने-लिखने सम्बंधित कार्य देंगे परन्तु गाँधी ने उनकी मंशा को भांपते हुए उन्हें गेहूँ बीनने का कार्य सौंप दिया।
2. ‘आश्रम में गाँधी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं’। पाठ से तीन ऐसे प्रसंगों को अपने अपने शब्दों में लिखो जो इस बात का प्रमाण हों।
उत्तर:-
• जब वे बैरिस्टरी से हज़ारो रुपये कमाते थे उस समय भी वे प्रतिदिन सुबह खुद चक्की पर आटा पीसा करते थे।
• आश्रम में वे सब्जियाँ छिलने का काम करते थे।
• आश्रम के नियमानुसार सभी लोगों को मिल-बांटकर बर्तन साफ़ करना पड़ता था। एक बार उन्होंने बर्तनों की सफाई खुद किया।
3. लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गाँधी जी ने क्या किया?
उत्तर:
लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गाँधी जी ने वहाँ तश्तरियाँ धोने, सब्जियाँ साफ़ करने और अन्य छूट-पुट काम करने में छात्रों की मदद करने लगे।
4. गाँधी जी ने श्रीमती पोलक के बच्चे का दूध कैसे छुड़वाया?
उत्तर:
गाँधी जी ने श्रीमती पोलक के बच्चे का दूध छुड़वाने के लिए वे बच्चे को माँ से दूर अपने बिस्तर पर सुलाते थे। वह चारपाई के पास एक बरतन में पानी भरकर रख लेते बच्चे को प्यास लगे तो उसे पिला दें। एक पखवाड़े तक माँ से अलग सुलाने के बाद बच्चे ने माँ का दूध छोड़ दिया।
5. आश्रम में काम करने या करवाने का कौन-सा तरीका गाँधी जी अपनाते थे? इसे पाठ पढ़कर लिखो।
उत्तर:
गाँधीजी अपना काम स्वयं करते थे और दूसरों से काम करवाने में सख्ती भी बरतते थे। गाँधी जी को काम करता देख उनके अनुयायी भी उनका अनुकरण कर कार्य करने लगते थे। इस प्रकार गाँधी जी स्वयं के उदाहरण द्वारा लोगों को काम करने की प्रेरणा देते थे।
निबंध से आगे
6. गाँधी जी इतना पैदल क्यों चलते थे? पैदल चलने के क्या लाभ हैं? लिखो।
उत्तर:
पैदल चलने से शरीर स्वस्थ रहता है। रोज पैदल चलने से शारीरिक फुर्ती बनी रहती है, शरीर में कमजोरी महसूस नहीं होती। व्यक्ति तरोताजा महसूस करता है।
भाषा की बात
1. (क) ‘पिसाई’ संज्ञा है। पिसना शब्द से ‘ना’ निकाल देने पर ‘पीस’ धातु रह जाती है। पीस धातु में ‘आई’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘पिसाई’ शब्द बनता है। किसी-किसी क्रिया में प्रत्यय जोड़कर उसे संज्ञा बनाने के बाद उसके रूप में बदलाव आ जाता है, जैसे ढोना से ढुलाई, बोना से बुलाई।
मूल शब्द के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाने वाले शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं।
नीचे कुछ संज्ञाएँ दी गई हैं। बताओ ये किन क्रियाओं से बनी हैं –
बुआई……………………… कटाई………………………
सिंचाई……………………… रोपाई………………………
कताई……………………… रंगाई………………………
मूल शब्द के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाने वाले शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं।
नीचे कुछ संज्ञाएँ दी गई हैं। बताओ ये किन क्रियाओं से बनी हैं –
सिंचाई……………………… रोपाई………………………
कताई……………………… रंगाई………………………
उत्तर:-
संज्ञा – क्रिया
बुआई – बोना
कटाई – काटना
सिंचाई – सींचना
रोपाई – रोपना
कताई – कातना
रंगाई – रंगना
बुआई – बोना
कटाई – काटना
सिंचाई – सींचना
रोपाई – रोपना
कताई – कातना
रंगाई – रंगना
(ख) हर काम-धंधे के क्षेत्र की अपनी कुछ अलग भाषा और शब्द-भंडार होते हैं। ऊपर लिखे शब्दों का संबंध दो अलग-अलग कामों से है। पहचानो कि दिए गए शब्दों के संबंध किन-किन कामों से हैं।
उत्तर:-
दिए गए शब्द कृषि तथा कपड़े से संबंधित है।
2. (क) तुमने कपड़ो को सिलते हुए देखा होगा। नीचे इस काम से जुड़े कुछ शब्द दिए गए हैं। आस-पास के बड़ों से या दरजी से इन शब्दों के बारे में पूछो और इन शब्दों को कुछ वाक्यों में समझाओ।
"तुरपाई, बखिया, कच्ची, सिलाई, चोर, सिलाई"
"तुरपाई, बखिया, कच्ची, सिलाई, चोर, सिलाई"
उत्तर:-
तुरपाई – कपडे में तुरपाई कर दो।
बखिया – रुमाल में बखिया लगा दो।
कच्ची सिलाई – पहले कपडे में कच्ची सिलाई कर दो।
चोर सिलाई – इस पैंट में चोर सिलाई करना।
3. नीचे लिखे गए शब्द पाठ से लिए गए हैं। इन्हें पाठ में खोजकर बताओ कि ये स्त्रीलिंग हैं या पुल्लिंग –
"कालिख, भराई, चक्की, रोशनी, जेल, सेवा, पतीला"
उत्तर:-
पुल्लिंग – पतीला
स्त्रीलिंग – कालिख, भराई, चक्की, रोशनी, जेल, सेवा
पाठ 14 – लोकगीत
पाठ 14 – लोकगीत
– भगवतशरण उपाध्याय
निबंध से
1. निबंध में लोकगीतों के किन पक्षों की चर्चा की गई है? बिंदुओं के रूप में उन्हें लिखो।
उत्तर:
प्रस्तुत निबंध में लोकगीतों का इतिहास, उनकी रचनात्मकता, जनमानस में लोकप्रियता, स्त्रियों का लोकगीतों में योगदान, उनके विभिन्न प्रकार, उनके संगीत यंत्र, उनकी भाषा, नृत्य और लोकगीत जैसे अनेक बिन्दुओं पर चर्चा की गई है।
2. हमारे यहाँ स्त्रियों के खास गीत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
हमारे यहाँ त्योहारों पर नहाते समय के, नहाने जाते हुए राह के, विवाह के, मटकोड़, ज्यौनार के, संबधियों के लिए प्रेमयुक्त गाली के, जन्म पर आदि अवसरों पर गाये जाने अलग-अलग गीत हैं, जो स्त्रियों के लिए खास गीत हैं।
3. निबंध के आधार पर और अपने अनुभव के आधार पर (यदि तुम्हें लोकगीत सुनने के मौके मिले हैं तो) तुम लोकगीतों की कौन-सी विशेषताएँ बता सकते हो?
उत्तर:
लोकगीत की अनेक विशेषताएँ हैं-
• ये हमें गाँव के जन-जीवन से परिचित कराते हैं।
• इनके वाद्य यंत्र बहुत सरल होते हैं हैं जैसे ढोल, ढपली, थाल आदि।
• ये समूह में ऊँची आवाज़ में गाये जाते हैं जिस कारण हमारे अंदर उत्साह का संचार होता है।
• इन गीतों को गाने के लिए हमें किसी संगीत के ज्ञान की आवश्यकता नही होती है।
4. ‘पर सारे देश के……अपने-अपने विद्यापति हैं’ इस वाक्य का क्या अर्थ है? पाठ पढ़कर मालूम करो और लिखो।
उत्तर:
पूरब की बोलियों में हमेशा मैथिल-कोकिल विद्यापति द्वारा लिखित गीत गाये जाते हैं परन्तु अगर वहाँ से निकलकर अन्य राज्यों या प्रदेशों में जाएँ तो उन लोगों के लोकगीतों की रचना करने वाले अपने-अपने विद्यापति मौजूद हैं।
भाषा की बात
1. ‘लोक’ शब्द में कुछ जोड़कर जितने शब्द तुम्हें सूझें, उनकी सूची बनाओ। इन शब्दों को ध्यान से देखो और समझो कि उनमें अर्थ की दृष्टि से क्या समानता है। इन शब्दों से वाक्य भी बनाओ। जैसे – लोककला।
उत्तर:-
लोकतंत्र – दुनिया में अधिकतर देशों ने लोकतंत्र को अपना लिया है।
लोकमंच – लोकमंच आम जनमानस की परेशानियों को दिखाने का सबसे सरल तरीका है।
लोकहित – हमें वह कभी नहीं करना चाहिए जो लोकहित में ना हो।
लोकप्रिय – यह उत्पाद बाजार में बेहद लोकप्रिय है।
लोकमत – विपक्ष ने लोकमत का सम्मान किया।
2. ‘बारहमासा’ गीत में साल के बारह महीनों का वर्णन होता है। नीचे विभिन्न अंकों से जुड़े कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें पढ़ो और अनुमान लगाओ कि इनका क्या अर्थ है और वह अर्थ क्यों है। इस सूची में तुम अपने मन से सोचकर भी कुछ शब्द जोड़ सकते हो –
इकतारा, सरपंच, चारपाई, सप्तर्षि, अठन्नी, तिराहा, दोपहर, छमाही, नवरात्र।
इकतारा, सरपंच, चारपाई, सप्तर्षि, अठन्नी, तिराहा, दोपहर, छमाही, नवरात्र।
उत्तर:-
• इकतारा – एक तार से बजने वाला वाद्ययंत्र
• सरपंच – पंचों का प्रमुख
• चारपाई – चार पैरों वाली
• सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
• अठन्नी – पचास पैसे का सिक्का
• तिराहा – तीन रास्तों के मिलने की जगह
• दोपहर – जब दिन के दो पहर मिलते हों
• छमाही – छह महीने में होने वाला
• नवरात्र – नौ रातों का समूह
3. को, में, से आदि वाक्य में संज्ञा का दूसरे शब्दों के साथ संबंध दर्शाते हैं। पिछले पाठ (झाँसी की रानी) में तुमने का के बारे में जाना। नीचे ‘मंजरी जोशी’ की पुस्तक ‘भारतीय संगीत की परंपरा’ से भारत के एक लोकवाद्य का वर्णन दिया गया है। इसे पढ़ो और रिक्त स्थानों में उचित शब्द लिखो –
"तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने ………अंग्रेज़ी के एस या सी अक्षर………तरह होती है। भारत………विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे………बना यह वाद्य अलग-अलग नामों………जाना जाता है। धातु की नली………घुमाकर एस………आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फ़ूँक मारने………एक छोटी नली अलग………जोड़ी जाती है। राजस्थान………इसे बर्गू कहते हैं। उत्तर प्रदेश………यह तूरी मध्य प्रदेश और गुजरात………रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश…….. नरसिंघा………नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।"
उत्तर:
तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने में अंग्रेजी के एस या सी अक्षर की तरह होती है। भारत के विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे से बना यह वाद्य अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धातु की नली को घुमाकर एस काआकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फूँक मारने पर एक छोटी नली अलग से जोड़ी जाती है। राजस्थान में इसे बर्गू कहते हैं। उत्तर प्रदेश में यह तूरी मध्यप्रदेश और गुजरात में रणसिंघा और हिमाचलप्रदेश में नरसिंघा के नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।
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