Friday, March 28, 2014

SAMPLE PAPER

SAMPLE PAPER

Q1)

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर छाँटकर लिखिए-

हिंदू समाज की वैवाहिक प्रथा इतनी दुषितइतनी चिंताजनकइतनी भयंकर हो गयी है कि कुछ समझ में नहीं आताउसका सुधार क्यों कर हो। बिरलें ही ऐसे माता-पिता होंगे जिनके सात पुत्रों के बाद एक भी कन्या उत्पन्न हो जाए तो वह सहर्ष उसका स्वागत करें। कन्या का जन्म होते ही उसके विवाह की चिंता सिर पर सवार हो जाती है और आदमी उसी में डुबकियाँ खाने लगता है। अवस्था इतनी निराशमय और भयानक हो गई है कि ऐसे माता-पिताओं की कमी नहीं है जो कन्या की मृत्यु पर ह्दय से प्रसन्न होते हैमानो सिर से बाधा टली। इसका कारण केवल यही है कि दहेज की दरदिन दूनी रात चौगुनीपावस-काल के जल-गुजरे कि एक या दो हजारों तक नौबत पहुँच गई है। अभी बहुत दिन नहीं गुजरे कि एक या दो हजार रुपये दहेज केवल बड़े घरों की बात थीछोटी-छोटी शादियों पाँच सौ से एक हजार तक तय हो जाती थींअब मामुली-मामुली विवाह की तीन-चार हजार के नीचे तय नहीं होते। खर्च का तो यह हाल है और शिक्षित समाज की निर्धनता और दरिद्रता दिन बढ़ती जाती है। इसका अन्त क्या होगा ईश्वर ही जाने। बेटे एक दर्जन भी हों तो माता-पिता को चिंता नहीं होती। वह अपने पर उनके  विवाह-भार को अनिवार्य नहीं समझतेयह उसके लिए 'कम्पलसरीविषय नहीं, 'आप्शनलविषय है। होगा तो कर देगेंनहीं कह देंगेबेटाखाओ कमाओकमाई हो तो विवाह कर लेना। बेटों की कुचरित्रता कलंक की बात नहीं समझी जातीलेकिन कन्या का विवाह तो करना ही पड़ेगाउससे भागकर कहाँ जायेगेंअगर विवाह में विलंब हुआ और कन्या के पांव कहीं ऊंचे पड़ गये तो फिर कुटुंब की नाक कटी गयीवह पतित हो गयाटाट बाहर कर दिया गया।
(नोटयह गद्यांश प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी 'उद्धारसे लिया गया है। 

(i) 
लेखक के लिए कौन-सा विषय चिंताजनक है?
(
)  माता-पिता का पुत्र के प्रति बेरुखा रवैया।
(
भारत की दुषित होती वैवाहिक प्रथा।
(
भारत में कन्या रत्न की अवहेलना।
(
समाज का बिगड़ता स्वरूप।
 
(ii) 
लेखक के अनुसार वैवाहिक प्रथा के दुषित होने का कारण है:
(
लोगों की पिछड़ी मानसिकता।
(
कन्या रत्न की अवहेलना।
(
विवाह प्रथा में लालच का शामिल होना।
(
कन्या के नाम पर धन बटोरना।

(iii) 
कन्या की मृत्यु पर माता-पिता द्वारा मन-ही-मन प्रसन्न होना प्रतीक है:
(
घोर गरीबी और बेबसी भरे जीवन का।
(
समाज के अशिक्षित तथा भ्रष्ट होने का।
(
सामाजिक पतन का।
(
लोगों के व्यवहारिक पतन का।

(iv) 
लेखक किस पर व्यंग्य कसता है?
(
पूरे विश्व में विद्यमान वैवाहिक प्रथा पर
(
हिन्दू समाज पर
(
अभिजात्य वर्ग पर
(
लोगों की दुर्बलता पर



(v) ''
अभी बहुत दिन नहीं गुजरे कि एक या दो हजार रुपये दहेज केवल बड़े घरों की बात थी''- प्रस्तुत कथन समाज में व्याप्त किस कुप्रथा की ओर संकेत कर रहा है:
(
अशिक्षा
(
गरीबी
(
दहेज
(
आर्थिक विपन्नता की ओर

Q2)

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर छाँटकर लिखिए-

भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बहुत कुछ कहा जा रहा है। हमारे बड़े-बड़े नेता और जन-समाज के विशिष्ट व्यक्ति भ्रष्टाचार पर कड़ी से कड़ी राय प्रकट करते रहते हैं। समाचार-पत्रों के कालम भ्रष्टाचार विरोधी मंतव्यों से भरे रहते हैं। छोटी गोष्ठियों से लेकर बड़ी सभाओं तक में भ्रष्टाचार विरोधी बातें उछाली जाती हैं। फिर भी भ्रष्टाचार का दानव अपना हमला जारी रखे हुए है। इतना ही नहींवह दिन से दिन अधिकाधिक शक्तिशाली होता जा रहा है। परसों उसके एक सिर था। कल उसके तीन सिर थे। आज लेकिन वह दशानन बन गया है। आहिस्ते-आहिस्ते यह दानव ह़ज़ार सिरोंवाला वैसा दैत्य तो नहीं हो जाएगाजिसकी चर्चा पुरानी लोक-कथाओं में आती हैयह भ्रष्टाचार हमारे मौजूदा समाज की तहों में घुला-मिला हुआ है। हमसे अलग कोई खास जंतु नहीं है यह। हाथ में डंडे लेकर अगर हम इस जंतु को खदेड़ने की नीयत से आगे बढ़ेंतो यह कहाँ मिलेगाभ्रष्टाचार नाम का कोई विकट जंतु अलग से हमें कहीं शायद ही दिखाई पड़े। वह तो हमारे अंदर है।


(नोटः नागार्जुन जी द्वारा लिखित लेखभ्रष्टाचार का दानवका एक अंश है।)

(i) प्रस्तुत गद्यांश में कवि किस बात पर व्यंग्य करता है:
(
भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव पर
(
भ्रष्टाचार पर
(
लोगों के भ्रष्टाचार के प्रति रवैए पर
(
देश की गिरती स्थिति पर

(ii)
  लेखक के अनुसार भ्रष्टाचार का उद्भव कहाँ से होता है:
(
विकृत समाज से
(
हमारे अंतकरण से
(
गरीबी और आर्थिक विपन्नता से
(
अविकसित सोच से।

(iii)
  घुला-मिला में समास है:
(
द्वंद्व
(
अव्ययीभाव
(
कर्मधारय
(
द्विगु

(iv)
  बातें उछालना से लेखक का तात्पर्य है:
(
बातों पर गंभीरता से विचार करना।
(
व्यर्थ की बहस करना।
(
स्वयं को उलझाना।
(
विषय को  समझना।

(v) 
मंतव्य का अर्थ है :
(
 मानने योग्य बात
(
विचार
(
सुव्यवस्थित विचार
(
आदेश

Q3)

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए गए विकल्पों में से चुनकर लिखिए:

हवा हाड़ तक बेध जाती है,
गेहूँ के पेड़ ऐठें खड़े हैं,
खेतीहरों में जान नहीं,
मन मारे दरवाज़े कौड़े ताप रहे हैं
एक दूसरे से गिरे गले बातें करते हुए,
कुहरा छाया हुआ।
ऊपर से हवाबाज़ उड़ गया।
ज़मीनदार का सिपाही लट्ठ कंधे पर डाले
आया और लोगों की ओर देख कर कहा,
'
डेरे पर थानेदार आए हैं;
डिप्टी साहब ने चंदा लगाया है,
एक हफ़्ते के अंदर देना है।
चलोबात दे आओ।
कौड़े से कुछ हट कर
लोगों के साथ कुत्ता खेतिहर का बैठा था,
चलते सिपाही को देख कर खड़ा हुआ,
और भौंकने लगा,
करुणा से बंधु खेतिहर को देख-देख कर।


(नोटनिराला जी द्वारा लिखित 'कुत्ता भौंकने लगाकविता का अंश है।)


(i) कुत्ता करुणा से बंधु खेतिहर को देख रहा है क्योंकि:
(
वह उसे छोड़ कर जा रहा है।
(
वह उसे कसाई को दे रहा है।
(
वह अपने मालिक के दुख को जानता है।
(
वह अपने मालिक से दया करने का अनुरोध कर रहा है।

(ii)
  प्रस्तुत काव्यांश आधारित है:
(
बंधुवा खेतिहरों पर
(
किसानों पर
(
ज़मीदारी प्रथा पर
(
ब्रिटिश शासन व्यवस्था पर

(iii)
  डिपी साहब आए हैं क्योंकि:
(
उन्हें विद्रोहियों का दमन करना है।
(
उन्हें किसानों को समझाना है।
(
उन्हें कर वसूल करना है।
(
उन्हें जमीन से जुड़े मामलों का निपटारा करना है।

(iv)
  'खेतीहरों में जान नहीं'- प्रस्तुत पंक्ति का आशय है:
(
खेतीहरों में एकता की कमी है।
(
खेतीहरों के शरीर दुर्बल हैं।
(
खेतीहरों की स्थिति निम्न स्तरीय है।
(
खेतीहरों का स्वयं का कोई अस्तित्व नहीं है।

(v) '
मन मारे दरवाज़े कौड़े ताप रहे हैंमें अलंकार है:
(
रूपक
(
उपमा
(
अन्योक्ति
(
मानवीकरण

Q4)

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए गए विकल्पों में से चुनकर लिखिए:

वह तोड़ती पत्थर;
देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर-
वह तोड़ती पत्थर।

कोई  छायादार
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार;
श्याम तनभर बंधा यौवन,
नत नयनप्रिय-कर्म-रत मन,
गुरु हथौड़ा हाथ,
करती बार-बार प्रहार:-
सामने तरु-मालिका अट्टालिकाप्राकार।

चढ़ रही थी धूप;
गर्मियों के दिन,
दिवा का तमतमाता रूप;
उठी झुलसाती हुई लू
रुई ज्यों जलती हुई भू,
गर्द चिनगीं छा गई,
प्रायः हुई दुपहर :-
वह तोड़ती पत्थर।


(नोटनिराला जी द्वारा लिखित कविता 'तोड़ती पत्थरसे यह अंश लिया गया है।)

(i) '
प्रिय-कर्म-रत मन'- प्रस्तुत पंक्ति का आशय है:
(
अपने प्रेमी की याद में लीन होकर काम करती  
(
मग्न होकर अपने प्रिय कार्य को करती
(
अपने प्रेमी के साथ कार्य करती
(
सोचते हुए कार्य करती  

(ii) 
कवि ने किसे गुरु की संज्ञा प्रदान की है:
(
हथौड़े को
(
लड़की को
(
हाथ को
(
कार्य को

(iii) 
प्रस्तुत कविता का उद्देश्य है :
(
एक गरीब युवती के यौवन को दर्शाना।
(
एक युवती की गरीबी को दर्शाना।
(
एक गरीब युवती के परिश्रम को दर्शाना।
(
एक युवती की विषम परिस्थितियों को दर्शाना।

(iv) 
काव्यांश में किस ऋतु का वर्णन है?
(
शरद ऋतु
(
ग्रीष्म ऋतु
(
वसंत ऋतु
(
इनमें से कोई नहीं

(v) '
रुई ज्यों जलती हुई भूमें अलंकार है:
(
उत्प्रेक्षा
(
यमक
(
श्लेष
(
मानवीकरण


Answer

Q1 - (i) ()
(ii) (
)
(iii) (
)
(iv) (
)
(v) (
)

Q2 -  (i) ()
(ii) (
)
(iii) (
)
(iv) (
)
(v) (
)

Q3 - (i) ()
(ii) (
)
(iii) (
)
(iv) (
)
(v) (
)


Q4 - (i) ()
(ii) (
)
(iii) (
)
(iv) (
)
(v) (
)